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- लेटेंट और एक्टिव दो प्रकार का होता है टीबी, सिर्फ एक्टिव टीबी के मरीजों में ही टीबी के दिखते हैं टीबी के लक्षण
- लेटेंट टीबी के मरीजों की मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से उनमें नहीं दिखते हैं टीबी के लक्षण
मुंगेर-
लेटेंट टीबी के मरीजों में नहीं दिखता है कोई लक्षण। स्किन या ब्लड टेस्ट के जरिए ही इसका किया जा सकता है पता । इस आशय की जानकारी जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ ध्रुव कुमार शाह ने दी। उन्होंने बताया कि ट्यूबर क्लोसिस दो प्रकार के होते हैं। पहला है लेटेंट टीबी : इस टीबी में आम तौर पर लोग बीमार नहीं पड़ते हैं। इस प्रकार के टीबी मरीजों के शरीर में टीबी के जीवाणु तो होते हैं लेकिन मरीजों के शरीर की मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून) सिस्टम की वजह से शरीर में टीबी के संक्रमण को फैलने से रोकता है। लेटेंट टीबी संक्रामक नहीं होता और इसमें टीबी के कोई लक्षण भी देखने को नहीं मिलता है। बावजूद इसके शरीर में टीबी के जीवाणु होने की वजह से यह कभी भी एक्टिव टीबी के रूप में परिणत हो सकता है। वहीं दूसरे प्रकार के टीबी को एक्टिव टीबी कहते हैं जिसमें टीबी के जीवाणु बहुत ही जल्द पूरे शरीर में फैलकर पूरे शरीर को बीमार कर देते हैं। उन्होंने बताया कि लेटेंट टीबी के मरीजों में टीबी का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता और इसमें टीबी मरीज का शरीर मजबूत इम्यून सिस्टम की वजह से बीमार भी पड़ता है । स्किन या ब्लड टेस्ट के जरिए ही इस टीबी का पता लगाया जा सकता है। इसके विपरित दूसरे टीबी को एक्टिव टीबी की स्थिति में तीन हफ्ते से अधिक समय तक कफ का बना रहना, छाती में दर्द, खांसी में खून आना, थकान, रात में पसीना आना, ठंड लगना, भूख नहीं लगना, और वजन का लगातार कम होता जाना एक्टिव टीबी के मुख्य लक्षण हैं । यदि इनमें से कोई भी लक्षण किसी भी व्यक्ति में दिखाई दे तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क कर टीबी का टेस्ट करवाना चाहिए। जिला भर के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच, बेहतर इलाज और दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध है।
भविष्य में न हो एक्टिव टीबी से संक्रमित इसलिए सामान्य लोग भी करवाएं लेटेंट टीबी जांच :
उन्होंने बताया कि एक्टिव टीबी के मरीजों को टीबी के लक्षण के आधार पर यह पता चल जाता है कि वो टीबी संक्रमित हैं या नहीं। इसके विपरित लेटेंट टीबी के मरीजों में मजबूत इम्यून सिस्टम की वजह से टीबी का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता और न ही वो बीमार होते हैं। बावजूद इसके मरीज के शरीर में टीबी के जीवाणु मौजूद होते हैं । लेटेंट टीबी के मरीज बाद में एक्टिव टीबी के मरीज न बन जाएं इसके लिए आवश्यक है सामान्य व्यक्ति जो पूरी तरह से स्वस्थ्य व उन्हें कोई बीमारी नहीं है वो भी स्किन टेस्ट और ब्लड टेस्ट करवा करवा लें । ताकि यह कन्फर्म हो कि जाए उनके शरीर में लेटेंट टीबी के जीवाणु नहीं है।
जिला यक्ष्मा केंद्र मुंगेर के जिला टीबी/एचआईवी समन्वयक शैलेंदु कुमार ने बताया कि आज के दिनों टीबी या यक्ष्मा एक ऐसी बीमारी है जिसका समय पर जांच और समुचित इलाज होने पर मरीज को आसानी से बचाया जा सकता है। इसके विपरित यदि सही समय मरीज की टीबी जांच और सही और पूरा इलाज नहीं कराया गया तो मरीज को बचा पाना मुश्किल होता है। वैसे तो आम तौर पर टीबी का संक्रमण फेफडों को प्रभावित करता है। बावजूद इसके यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। टीबी का संक्रमण आम तौर पर हवा के माध्यम से टीबी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने से होता है। यदि कोई व्यक्ति एचआईवी, डायबिटीज, किडनी की बीमारी, सिर या गर्दन का कैंसर, या फिर जो कुपोषण का शिकार हो तो उनके टीबी संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है। इससे रोकथाम का बस यही उपाय है कि टीबी संक्रमित व्यक्ति हमेशा मुंह पर रूमाल रख कर ही खांसे या छींके । या फिर नियमित रूप से मास्क का इस्तेमाल करे। उन्होंने बताया कि टीबी जांच के बाद सही तरीके से इलाज और दवाइयों का पूरा डोज लेने के साथ- साथ पूरा पोषण लेते रहने से टीबी मरीजों के ठीक होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। टीबी मरीज पूरी तरह से टीबी से ठीक भी हो जाते हैं।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar