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बाढ़ की विभीषिका के बाद भी संस्थागत प्रसव को सुदूरवर्ती क्षेत्रों से पहुंच रहीं हैं महिलाएं


- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नाव एवं ट्रैक्टर से आ रहे हैं लाभार्थी
-संस्थागत प्रसव सुरक्षित व कारगर हो रहा है साबित : डॉ संजय कुमार


लखीसराय -


अभी राज्य के दर्जनभर से ज्यादा जिले बाढ़ की त्रासदी झेल रहे हैं। इस दौरान बाढ़ पीड़ित कई प्रकार की चुनौतियां और मुसीबतों का सामना करते हैं। खासकर वैसे इलाके जो जिला और प्रखंड मुख्यालय से काफी सुदूरवर्ती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण लखीसराय का सुदूर इलाका पिपरिया है। जो अभी बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिरा है। इस विपरीत परिस्थितियों में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मी पिपरिया के साथ-साथ पूरे पीएचसी क्षेत्र के लोगों स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इतना ही नहीं संस्थागत प्रसव जैसी सुविधा देने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं।‌ आलम ये है कि लाभार्थी अपने परिवार के साथ बाढ़ के पानी में नाव एवं ट्रैक्टर से भी आ रहे हैं। ये कहना है पीएचसी प्रभारी डॉ. संजय कुमार का। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। पर, हम सभी इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि इस विकट स्थिति में भी आमजनों को स्वास्थ्य सुविधा के साथ-साथ संस्थागत प्रसव की सुविधा भी समुदाय के लोगों को उपलब्ध कराएं।

तय रणनीति से संभव हो रहा संस्थागत प्रसव

पिपरिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंध अमन नजर बताते हैं कि हमने सभी आशा दीदी को निर्देशित किया है कि आप सब समुदाय के बीच और लोगों के बीच रहकर कार्य करते हैं। इसलिए आप लोग हर प्रकार के स्वास्थ्य अभियान को उपलब्धि प्रदान करने में अहम भूमिका निभातीं हैं। आप सभी बाढ़ जैसी विषय परिस्थितियों में भी लोगों का साथ ना छोड़ें। उन्हें प्रसव के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक लाने में जरूर मदद करें।
और इसी का परिणाम है कि लाभार्थी केंद्र तक आ रहे हैं एवं सुरक्षित प्रसव के बाद जच्चे -बच्चे के साथ खुशी -खुशी घर जा रहे हैं।
वहीं प्रसव पीड़ा से पीड़ित कोमल कुमारी बताती हैं की मेरे प्रसव का समय हो गया था। मैं अपने गांव की आशा दीदी के साथ बच्चे को जन्म देने के लिए एम्बुलेंस के माध्यम से पीएचसी जाने वाली थी। पर, इसी बीच गांव में बाढ़ आ गया और पानी से घिर गया। मैं तो बाढ़ को देखकर घबरा गई, कि अब कैसे मैं सुरक्षित प्रसव हेतु अस्पताल जा पाऊंगी। मेरे घर वाले भी परेशान होने लगे। तभी आशा शिल्पी कुमारी ने कहा कि हम सब ट्रैक्टर से भी केंद्र तक चल सकते है ।इतो आपके साथ रहूँगी ही, फिर हमसभी ट्रैक्टर के माध्यम से अस्पताल पहुंचे।
कोमल कहती हैं कि सब कोई ये कह रहा था कि बाढ़ के पानी में तुम अस्पताल तक कैसे जा पाउगी। अगर घर में ही प्रसव हो जाय तो क्या परेशानी है। पर हमारे साथ हमारे परिवार के लोग ये मानने को तैयार नहीं थे। क्योंकि हम सब का मानना है कि संस्थागत प्रसव ही सुरक्षित प्रसव होता है।
बाढ़ की विभीषिका के दौरान रामचंद्रपुर निवासी काजल कुमारी कहती हैं कि जब मेरे प्रसव का समय नजदीक आया है । उसी समय बाढ़ का पानी भी इस इलाके को घेर लिया । ये सब देखकर मेरे घर वाले के साथ मैं खुद परेशान हुई , की अब मैं अपने बच्चे को जन्म देने के लिए प्राथमिक केंद्र तक कैसे जाऊंगी। पर आशा दीदी ने हिम्मत देते हुए बोलीं कि हम सभी आपके बच्चे को सुरक्षित इस दुनिया में लाने हेतु हर तरीके से तैयार हैं। मैं नाव से केंद्र तक गयी भी हूँ जहाँ जाँच के बाद कहा गया है की अभी समय नहीं होने के कारण प्रसव नहीं कराया जा सकता है ।.समय पूरा होने के बाद चाहे जो भी स्थिति रहे केंद्र तक संथागत प्रसव के लिए जरुर जाऊँगी ।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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