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रवींद्रनाथ टैगोर के नक्शे-कदम पर चलने वाले नेता हैं अमित शाह

विश्वगुरु रवींद्रनाथ की विचारधाराओं को मानने वाले तो बहुत हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही सही मायने में उनका पालन करते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर के सच्चे शिष्य और शिक्षा तथा राजनीति सहित विभिन्न पहलुओं पर गुरुदेव के दर्शन में दृढ़ विश्वास रखने वाले गृह मंत्री अमित शाह रवींद्रनाथ को अपने मार्गदर्शक के रूप में देखते हैं।



रवींद्रनाथ के अनन्य पाठक, शाह विशेष रूप से राजनीति, सामाजिक जीवन, कला और देशभक्ति के लिए गुरुदेव के मुक्त विचारों से प्रभावित हैं, जो वर्तमान में पाए जाने वाले संकीर्णता के विपरीत है। गुरुदेव के विचार शाह का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें उनके विचारों से प्रेरणा मिलती है।


महान कवि और दार्शनिक रवींद्रनाथ की रचनाओं व उनके विचारों के लिए शाह का सम्मान इतना अधिक है कि उन्होंने पाया कि 'महामानव' शब्द महान व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए पर्याप्त नहीं था।


रवींद्रनाथ के विचारों में मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया था, यह शाह ही थे जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को टैगोर के उस दर्शन पर आधारित किया जाना चाहिए, जो अनिवार्य रूप से एक बच्चे की सोचने, शोध करने और अपने आंतरिक स्व का पता लगाने की क्षमता को प्रज्वलित करने में मदद करता है।


शाह ने कहा, ‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने हमेशा मातृभाषा में शिक्षा पर बहुत जोर दिया। एक बच्चे की सोचने और अनुसंधान करने की क्षमता गंभीर रूप से प्रतिबंधित हो जाती है यदि वह अपनी मातृभाषा में बात नहीं कर सकता/सकती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में बनाई गई नई शिक्षा नीति में गुरुदेव के विचारों से प्रेरणा ली गई है और मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया गया है।’



गुरुदेव का मानना था कि विदेशी शिक्षा और विश्वविद्यालयों का महिमामंडन करना हमारी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य नहीं होना चाहिए। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने शिक्षा के इस नए विचार को रटने वाली शिक्षा के विपरीत प्रस्तुत किया। ये नई शिक्षा नीति में प्रतिध्वनित होते हैं।


शांतिनिकेतन में टैगोर ने प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षण तकनीकों के साथ मिलाने का काम किया। टैगोर ने मातृभाषा में शिक्षा को सर्वाधिक प्रोत्साहन दिया। वह जानते थे कि कोई भी अपनी मातृभाषा के उपयोग के बिना अपने भीतर की खोज नहीं कर सकता। मातृभाषा में शिक्षा पर शाह का जोर टैगोर की शिक्षा नीति पर आधारित है। शाह यह जानकर आश्चर्यचकित हैं कि बंगाल के एक जमींदार परिवार के पुत्र होने के बावजूद, रवींद्रनाथ आम लोगों के विचारों को इतनी खूबसूरती से कैसे व्यक्त कर सकते हैं। शाह का मानना है कि रवींद्रनाथ सही मायने में एक वैश्विक व्यक्तित्व थे, जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर विभिन्न विषयों और कला में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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