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- इस दवा का 6 से 8 महीने नियमित सेवन से एमडीआर टीबी को मात देने में मिल रही है मदद
- पहले एमडीआर टीबी के मरीजों को खानी पड़ती थी 24 महीने तक नियमित दवा
मुंगेर, 13 जनवरी-
मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के उपचार में बीडाकुलीन दवा सबसे अधिक कारगर है। इस दवा का सिर्फ 6 से 8 महीने तक नियमित सेवन से ही एमडीआर टीबी को मात देने में मदद मिल रही है । पहले एमडीआर टीबी के मरीजों को 24 महीने तक नियमित दवा खानी पड़ती थी । मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के इलाज को आसान बनाने के लिए सरकार के द्वारा अब बीडाकुलीन दवा की खुराक दी जा रही है। मालूम हो कि टीबी की दवा का नियमित सेवन नहीं करने से इसके मरीज ड्रग रेजिस्टेंट टीबी की चपेट में आ जाते हैं। यह एक ऐसी स्थिति होती है जब टीबी के उपचार के लिए दी जाने वाली दवाओं का असर मरीज पर नहीं होता है। एमडीआर टीबी एक खतरनाक स्थिति है।
डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर मुंगेर में कार्यरत डिस्ट्रिक्ट टीबी/एचआईवी कॉर्डिनेटर शैलेंदु कुमार ने बताया कि क्षय रोग या टीबी माइक्रो बैक्ट्रियम नामक जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। इस बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में काफी कमी आ जाती है। आम तौर पर टीबी का इलाज एंटी टीबी दवाओं के प्रथम श्रेणी की दवाओं के साथ शुरू होती है। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर)टीबी, टीबी संक्रमण का ही एक रूप है जो कम से कम दो शक्तिशाली प्रथम लाइन की दवाओं के साथ इलाज के लिए प्रतिरोधी हो जाती है। इससे टीबी के इलाज के लिए दी जाने वाली प्रथम श्रेणी की दवाओं का असर मरीज पर होना बंद हो जाता है। जिससे मरीज की समस्या काफी बढ़ जाती है। इसके साथ ही सही समय पर सटीक इलाज नहीं किए जाने पर इससे रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।
सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही मिलेगी बीडाकुलीन दवा :
डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर मुंगेर में कार्यरत डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम कॉर्डिनेटर (डीपीसी) सुमित सागर ने बताया कि एमडीआर टीबी से पीड़ित मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सरकार के द्वारा बीडाकुलीन नामक दवा मुफ्त में दी जा रही जो सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही उपलब्ध है। किसी भी निजी अस्पताल या फार्मेसी में यह बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। यह दवा राष्ट्रीय टीबी/क्षय रोग नियंत्रण विभाग के द्वारा तय किए गए मापदंडों के हिसाब से दी जाती है। मरीजों को बीडाकुलीन दवा की 188 टैबलेट्स दी जाती है। इस दवा का 6 से 8 महीने के कोर्स से एमडीआर टीबी पर प्रभावी नियंत्रण हो जाता है।
दवा का पूरा कोर्स ही एमडीआर टीबी से बचा सकता है :
उन्होंने बताया कि टीबी से ग्रसित मरीजों के द्वारा टीबी की दवा का पूरा कोर्स नहीं करने के कारण ही एमडीआर टीबी के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। टीबी की दवा का अनियमित सेवन करना, बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा दुकानों से टीबी की दवा लेना एवम टीबी की दवा खाने से पहले ड्रग सेंसेटिव जांच नहीं होने से भी एमडीआर टीबी के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। टीबी का सम्पूर्ण और सटीक इलाज सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar